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Tuesday 2 August 2016

Independence Day Speech in Hindi | 15th August 2016 Speech

 Here , we provided Speech on Independence Day of India. 15th August is the most important day for all the Indians on this we get the Independence from the British rule just because of greatest freedom fighters. Independence day is a national holiday however everyone celebrate this from own places by hosting the flags in schools , offices and society. Here , we write for you the Best Independence Day Speech for all of you that you get be clapped by all when you will give your speech on 15th August 2016. Today we were free to do anything because of the great Indian leaders who struggled hard for many years to get freedom against British rule. Those who are planning to deliver a Speech on Special Occasion of India's Independence Day , this article would help you more to substantiate your preparation. 

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 15th August - Independence Day Speech in Hindi :-

                                                         स्वतन्त्रता दिवस

विकास की आस भरा नवेन्दु-सा, हरा-भला कोमल पुष्पमाला सा ।
प्रमोद-दाता विमल प्रभात सा, स्वतन्त्रता का शुचि पर्व आ लसा ।


भूमिका: जीवन के समान ही राष्ट्र का इतिहास भी उन्नति- अवनति ‘और सुख-दुःख की कहानियों से बनता है । लेकिन . दुर्भाग्य के कारण जून कोई राष्ट्र पराधीनता की जंजीरों में जकड़ लिया जाता है तो उसका जीवन अभिशाप बन जाता है । भारत को भी शताब्दियों तक इस पराधीनता की जंजीरों में बन्ध कर पीड़ा और घुटन का जीवन बिताना पड़ा है । अंग्रेजों के शासन ‘काल में पराधीनता की पीड़ा चरम सीमा पर पहुंच गयी थी । स्वतंत्रता दिवस आज के लगभग दो सौ वर्ष पहले भारत अंग्रेजों के अधीन था तथा पराधीनता की पीड़ा तथा यातना से जूझ रहा था । स्वतंत्रता प्रत्येक व्यक्ति को पसंद होती है । पशु-पक्षी, इन्सान सभी स्वतन्त्र रहना चाहते हैं । भारतीयों ने भी आजादी के लिए संघर्ष किया । नौजवानों, बुजुर्गों, स्वतंत्रता सेनानियों, क्रांतिकारियों ने अपने प्राण की आहुति देकर भारत को अंग्रेजों से भाव पराधीनता की बेड़ियों से छुड़वाया ।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष: स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानी भी पूरी सजगता के साथ सरकार का विरोध -कर रहे थे । । दिन-प्रतिदिन ” स्वतन्त्रता हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है और उसे हम लेकर रहेंगे ” का नारा बुलंद होता जा रहा था । सात देश स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए बेचैन हो उठा था । सर्वत्र एक ही गूंज सुनाई देती थी ।

रणभेरी बज उठी, वीरवर पहनो केसरिया बाना ।
मिट जाओ वतन पर इसी तरह, जिस तरह शमा पर परवाना ।


अंग्रेजी सरकार भी अपने शासन की नींव को हिलते देखकर बौखला उठती थी । सिपाही लाठियों और गोलियों की वर्षा  करते । देशभक्तों के सिर फूटते. हड्डियां टूटती, और कुछ सड़क पर ही दम तोड़ देते पर लोगों का जोश कम न होता । वे तो एक रट लगाए हुए थे-
नहीं रखनी सरकार, भाइयो, नहीं रखनी, अंग्रेजी सरकार भाइयो, नहीं रखनी ।।
आखिर शहीदों का खून रंग लाया, जिस सरकार के राज्य में सूरज कभो नहीं डूबता श्ग ऐसा शक्तिशाली साम्राज्यवादी सरकार भी आखिर निरूत्थे भारतीयों के सामने झुक गई । 15 अगस्त. 1947 का पावन दिन आया । परतन्त्रता की रात बीत गई और स्वतन्त्रता का सूर्य निकल आया ।
15 अगस्त का शुभ पर्व देखने के लिए अनेक भारतीयों ने बलिदान दिया । इसी दिन के लिए अनगिनत माताओं की गोदियों के लाल -लुट गए । अनेक बहनों से उनके भाई छिन गए और सुहागिनों की मांग का सिंदूर पुंछ गया । गांधी, पटेल, जवाहर, राजेन्द्र प्रसाद सरीखे देशभक्तों क्रो एक बार नहीं अनेक बार जेल यातनाएं सहन करनी पड़ी । नेता जी सुभाष. शहीद भगत सिंह तथा लाला लाजपत राय के बलिदान को कौन भूल सकता है? अनेक वीर स्वतन्त्रता-भवन की नींव की इटइं बन गए । भले ही उनका नाम इतिहास के पृष्ठों में नहीं पर उनके ही बलिदान से स्वतन्त्रता का यह दीपक प्रज्वलित हुआ है । बापू के नेतृत्व में लड़े गए अहिंसात्मक संग्राम की कहानी बड़ी लम्बी है । सविनय अवज्ञा आन्दोलनों, असहयोग आन्दोलनों, भारत छोड़ो आन्दोलनों आदि ने सुप्त भारतीयों में नव चेतना भर दी । 15 अगस्त से पहले के इतिहास पर दृष्टि डालें तो हमें बलिदानों का तांता दिखाई देगा । बलिदानों की एक लम्बी परम्परा के बाद हम स्वतन्त्र हुए ।

 स्वतन्त्रता दिवस पर हर्ष और उल्लास: स्वतन्त्रता पाप्ति का समाचार सुनकर भारतवासी प्रसन्नता से झूम उठे । भारत के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक हर्ष की लहर दौड़ गई : -15 अगस्त की भोर भी क्या भोर थी । प्रत्येक गली संगीत से गूंज उठी । यह संगीत हृदय का संगीत था ।

उठो सोने वालो, सवेरा हुआ है, वतन के शहीदों का फेरा हुआ है ।
दिल्ली तो उस दिन नई नवेली दुल्हन बन गई थी । ठीक प्रातः आठ बजे स्वतन्त्रता संग्राम के महान. सेनानी जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले पर राष्ट्रीय झंडा फहराया । उस दिन प्रत्येक पल ने एक उत्सव का’ रूप धारण कर लिया था । अनेक कार्यक्रम रखे गए । शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलियां अर्पित की गईं । भारत के स्वर्णिम भविष्य -के- लिए अनेक योजनाएं बनाई गईं । 15 अगस्त की रात्रि को दीप माला की गई ।


15 अगस्त, 1947 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले पर तिरंगा झंडा फहराया था तभी से यह परंपरा चली आ रही है । उस दिन से प्रतिवर्ष यह राष्ट्रीय त्योहार पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है तथा जिन लोगों के संघर्ष से आज हम आजादी का जीवन व्यतीत कर रहे हैं, उन्हें याद किया जाता है । इस दिन देश को उन्नति के पथ पर आगे बढ़ने व भेद- भाव को मिटाने की प्रतिज्ञा ली जाती है । इस दिन प्रत्येक भारतवासी के मन में देश प्रेम की भावना जागृत होती है और उन्हें देश की स्वतन्त्रता व एकता बनाए रखने के लिए प्रेरित करती है राष्ट्रीय पर्व पूरे राष्ट्र में हर्षोल्लास से मनाया जाता है पर दिल्ली में लाल किले पर इस दिन नजारा विशेष ही होता है । इस दिनों शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है । पूरे भारत में सार्वजनिक अवकाश रहता है । इस दिन प्रात काल ही लोग लाल किले के सामने एकत्रित हो जाते हैं । प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं तथा देश के नाम संदेश देते हैं । तोपों की सलामी दी जाती है । विद्यालयों, कार्यालयों तथा सार्वजनिक स्थलों पर कार्यक्र्रम होते है । इस दिन हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हम उस आजादी की कीमत को पहचानें तथा उसकी रक्षा करें तथा निजी स्वार्थों को त्यागकर परस्पर प्रेम- भाव से रहें । देश की स्वाधीनता, एकता एवं अखण्डता की रक्षा के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए । ऐसा कोई भी कार्य नहीं करना चाहिए जिसके कारण देश में अनेकता फैले । सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए तथा देश की उन्नति के लिए अपने कर्त्तव्य का पालन करना चाहिए ।

हमारा कर्त्तव्य: भारत स्वतन्त्र हो गया लेकिन अभी उसके सामने देश के निर्माण का काम था । यह काम धीरे- धीरे हो रहा है । खेद की बात है कि 65 वर्ष व्यतीत हो जाने पर भी भारत अपने सपने को साकार नहीं कर पाया । इसका कारण व्यक्तिगत स्वार्थों की प्रबलता है । दलबन्दी के कारण भी काम में विशेष गति नहीं आती । हमारा कर्त्तव्य है कि देश की उन्नति तथा इसकी स्वतन्त्रता बनाए रखने के लिए ईमानदारी का परिचय दें । प्रत्येक नागरिक कर्मठता का पाठ सीखे और अपने चरित्र बल को ऊंचा उठाए । जनता एवं सरकार दोनों को मिलकर देश के प्रति अपने कर्त्तव्य को पूरा करना है । युवक देश की रीढ़ की हड्डी के समान हैं । उन्हें देश के गौरव को बनाए रखने के लिए तथा उसे सम्पन्न एवं शक्तिशाली बनाने में अपना योगदान देना चाहिए ।

उपसंहार: स्वतन्त्रता दिवस का मंगल पर्व इस बात का साक्षी है कि स्वतन्त्रता एक अमूल्य वस्तु है । इसके लिए हमने महान् त्याग किया है । अनेक देश- भक्तों ने भारत माता के सिर पर ताज रखने के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया है । इस दिन हमें एकता का पाठ पढ़ना चाहिए और देश की रक्षा का व्रत धारण करना चाहिए ।

Speech on Independence Day of India in Hindi Language :-

This article contain 15th August - Best Independence Day Speech in Hindi , This speech sample may help you to prepare your speech for the special day.  India has been a country that has marked her place in history even thousand of years ago. The 15th of August is a very important day in the history of our country - India. Independence day is celebrated all over the India with great joy. In Delhi , the capital of India , this day is celebrated with great pomp and show. People gathered in large numbers in to the Parade ground in front of red fort. There is great hustle and bustle everywhere. At the red fort , the Prime Minister unfurls the national flag. The Independence day remind up of those patriots who fought and suffered to win freedom for us. This is a Speech for 70th Indian Independence Day for those who want to prepare a speech on the occasion of India's Independence Day.

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